(कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य में प्रयोग होता है तथा धातु से आत्मनेपद होता है।)
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(कर्ता) (कर्म) (क्रिया) (कर्तृ वाच्य प्रयोग) राम रोटी खा रहा है। = रामः रोटिकाम् खादति
(कर्मवाच्य प्रयोग ) राम के द्वारा रोटी खाई जाती है = रामेण रोटिका खाद्यते (कर्तृ वाच्य प्रयोग) मैं पाठ लिख रही हूं। = अहं पाठं लिखामि
(कर्मवाच्य प्रयोग ) मेरे द्वारा पाठ लिखा जा रहा है। = मया पाठः लिख्यते
(कर्तृ वाच्य प्रयोग) किसान हल से भूमि जोतता है। = कृषकः हलेन क्षेत्रम् कर्षति
(कर्मवाच्य प्रयोग )किसान के द्वारा हल से भूमि जोती जा रही है। = कृषकेन हलेन क्षेत्रम् कृष्यते